एजुकेशन डेस्क. अब मेडिकल कॉलेज एमबीबीएस, पीजी छात्रों को पढ़ाने के लिए निजी क्षेत्रों और विदेशों में रह रहे भारतीय डॉक्टरों को पार्ट टाइम पर नियुक्त कर सकेंगे। ये नियम एम्स, पीजीआई चंडीगढ़ और पुडुचेरी में जिपमेर पर लागू नहीं होंगे। यह फैसला निजी और सरकारी कॉलेजों में टीचर्स के अभाव को देखते हुए लिया गया है। जिनकी स्थापना संसद से पारित कानूनों के तहत की गई है।
चिकित्सा शिक्षा नियामक भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) की शक्तियां प्राप्त संचालन मंडल (बीओजी) का निर्णय निजी और सरकारी कॉलेजों में शिक्षकों की कमी को दूर करने पर केंद्रित है। पुराना नियम निजी डॉक्टरों को मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाने की अनुमति नहीं देता था। बीओजी ने अब चिकित्सा संस्थानों में शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता पर मौजूदा नियमों में संशोधन कर एक नया खंड शामिल किया है।
चिकित्सा संस्थान (संशोधन) नियम 2019 में शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता से संबंधित नियमों के अनुसार अंशकालिक आधार पर नियुक्त किए जाने वाले शिक्षकों को ‘‘विजिटिंग फैकल्टी’’ कहा जाएगा। अधिसूचना में कहा गया है कि चिकित्सा संस्थानों में भारतीय समुदाय के समावेश को प्रोत्साहित करने के लिए ‘विजिटिंग फैकल्टी’ के रूप में प्रवासी भारतीयों की नियुक्ति भी की जा सकती है। ‘विजिटिंग फैकल्टी’ के रूप में नियुक्त किए जाने वाले व्यक्ति के लिए अधिकतम आयु सीमा 70 साल रखी गई है।